
आध्यात्मिकता के समावेश से ही समाज में समृद्धि, खुशहाली और शांति आएगी: पूर्व राज्यपाल गोबिंद बहादुर टुमबांग
- समाजसेवा प्रभाग का चार दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन शुरू
- देशभर से समाजसेवा से जुड़े समाजसेवी और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि ले रहे हैं भाग
- समाज की समृद्धि में आध्यात्मिकता की भूमिका विषय पर आयोजन
आबूरोड, राजस्थान। ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के समाजसेवा प्रभाग द्वारा आनंद सरोवर परिसर में चार दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन एवं रिट्रीट का आयोजन किया जा रहा है। समाज की समृद्धि में आध्यात्मिकता की भूमिका विषय पर आयोजित इस सम्मेलन में भारत सहित नेपाल से एक हजार से अधिक समाजसेवी और विभिन्न समाजसेवी संगठनों के पदाधिकारी भाग ले रहे हैं।
शुभारंभ पर नेपाल सरकार कोशी के पूर्व राज्यपाल गोबिंद बहादुर टुमबांग ने कहा कि आज की दुनिया बॉडी कॉन्सियशनेस (देहभान) में इतनी डूब गई है कि वह अपनी वास्तविक पहचान, अपनी आत्मा की पहचान को भूल गई है। देहभान के कारण ही दुनिया अहंकार, क्रोध, लोभ, मोह में डूबती जा रही है। वास्तव में हम सभी आत्माएं हैं। आत्मा प्रेम स्वरूप है, शांत स्वरूप है। जब हम आत्मा की पहचान को जानते हैं तभी परमात्मा को पहचान सकते हैं। आत्मिक रूप की स्मृति से हमारा एक-दूसरे के प्रति दया, प्रेम, स्नेह और सहयोग का भाव रहता है। आध्यात्मिकता के समावेश से ही समाज में समृद्धि, खुशहाली और शांति आएगी। जब मैं कोशी में राज्यपाल था, तब एक बार विराटनगर ऑफिस में ब्रह्माकुमारी बहनों का आना हुआ। उस दौरान ब्रह्माकुमारी बहनों से आध्यात्मिक ज्ञान चर्चा की। इसके बाद मैंने, पत्नी के साथ सात दिन का राजयोग मेडिटेशन कोर्स किया। ब्रह्माकुमारीज़ के ज्ञान को जीवन में धारण करने के बाद मेरे जीवन में बहुत बड़ा बदलाव आया है।
ऐसा कार्य करें जिससे दूसरों को खुशी मिले-
मुंबई से आए दामोदर चेरिटेबल ट्रस्ट के स्ट्रेटेजिक मैनेजमेंट एडवाइजर घनश्याम मेहता ने कहा कि हमने भौतिक रूप से बहुत उपलब्धियां हासिल की हैं। हम चांद और मंगल पर जा रहे हैं। लेकिन आज वैश्विक परिस्थितियां बड़ी नाजुक हैं। हम युद्ध की कगार पर खड़े हैं। ऐसा कार्य करें जिससे स्वयं के मन को खुशी, संतुष्टि मिले। आपके द्वारा किया गया ऐसा कार्य जो दूसरों को खुशी दे, सबसे बड़ी सेवा है। संस्थान की पूर्व मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी जानकी से एक बार लंदन में मिलना हुआ, उनकी सादगी और सरलता देखकर मैं बहुत प्रभावित हुआ।
लोगों का जीवन बदलना, सबसे बड़ी सेवा-
अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी बीके मुन्नी दीदी ने कहा कि समाज की सबसे बड़ी सेवा लोगों को परमात्मा का ज्ञान देकर उनके अंदर की बुराइयों से मुक्त करना है। किसी का जीवन दिव्य बना देना, जीवन को बदल कर सत्मार्ग पर ले जाना, सबसे महान कार्य है। संस्थान का नारा है स्व परिवर्तन से विश्व परिवर्तन। यहां से आप सभी तीन दिन तक यहां के आध्यात्मिक माहौल पर पूरा लाभ लेकर जाएं और अपने जीवन को सकारात्मक दिशा में परिवर्तित करें।
जीवन हो दुआओं से भरपूर-
संस्थान की संयुक्त मुख्य प्रशासिका व समाजसेवा प्रभाग की राष्ट्रीय अध्यक्षा राजयोगिनी बीके संतोष दीदी ने कहा कि बीमारियों का कारण मन है। जब मन ईश्वर में लग जाता है, हम ईश्वर से अतीद्रिंय सुख की अनुभूति कर लेते हैं तो मन शांत हो जाता है। हमारा जीवन दुआओं से भरपूर हो जाता है। जीवन में ज्यादा से ज्यादा दुआएं लेने का प्रयास करते रहें। परमात्मा कहते हैं मेरे बच्चों, तुम मुझे अपनी सारी जीवन की बुराई दे दो और गुण ले लो।
सृष्टि परिवर्तन का चल रहा है समय-
प्रभाग के उपाध्यक्ष गुलबर्गा के बीके प्रेम भाई ने कहा कि सृष्टि चक्र सदा चलता रहता है। यह कभी रुकता नहीं है। परिवर्तन सृष्टि का नियम है। सृष्टि में सतयुग के बाद त्रेतायुग, द्वापरयुग और फिर कलियुग आता है। अभी सृष्टि परिवर्तन का वही स्वर्णिम काल कलियुग का अंत और सतयुग की आदि का समय संगमयुग चल रहा है। परमपिता शिव परमात्मा आकर के मनुष्य आत्माओं को पावन बना रहे हैं। उत्तराखंड श्रीनगर गहरवाल के राष्ट्रीय संयोजक बीके मेहरचंद भाई ने कहा कि आंतरिक सेवा सर्वोत्तम सेवा है। किसी की आत्मा में आत्म प्रकाश भर देना सबसे बड़ी सेवा है। आपने अनेक संत-महात्माओं का उदाहरण देते हुए कहा कि संत-महात्माओं ने अपने जीवन, ज्ञान से अनेक आत्माओं के जीवन में आत्म प्रकाश जगाया। सबसे बड़ी सेवा है किसी के जीवन को बदल देना, उसे परमात्मा से जोड़ देना।
इन्होंने भी किया संबोधित-
प्रभाग के राष्ट्रीय संयोजक बीके अवतार भाई, कानपुर दिल्ली की बीके आशा दीदी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। मधुरवाणी ग्रुप के कलाकारों ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। महाराष्ट्र के अमरावती से आए कलाकारों ने स्वागत नृत्य प्रस्तुत किया। सभी अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित कर सम्मेलन का शुभारंभ किया। संचालन करते हुए प्रभाग की अतिरिक्त राष्ट्रीय संयोजिका बीके वंदना दीदी ने सभी को राजयोग मेडिटेशन के माध्यम से गहन शांति की अनुभूति कराई किया। आभार मुख्यालय संयोजक बीके बीरेंद्र भाई ने माना। इस मौके पर भारत सहित नेपाल से एक हजार से अधिक समाजसेवी मौजूद रहे।
फोटो- 10 एबीआर 01- दीप प्रज्जवलित कर सम्मेलन का शुभारंभ करते अतिथि।
फोटो- 10 एबीआर 02- सम्मेलन में मंचासीन अतिथिगण।
फोटो- 10 एबीआर 03- स्वागत नृत्य पेश करते अमरावती से आए कलाकार।
फोटो- 10 एबीआर 04- सम्मेलन में मौजूद भारत सहित नेपाल से आए समाजसेवी।
फोटो- 10 एबीआर 05- संबोधित करते पूर्व राज्यपाल गोबिंद बहादुर टुमबांग।